Ek Aur Do Idhar Dekho

Kavita Krishnamurthy

एक और दो इधर देखो तीन और चार मैं हूँ वो नार पाँच और च्छे निगाहो से सात और आठ जिगर दो काट एक और दो इधर देखो तीन और चार मैं हूँ वो नार पाँच और च्छे निगाहो से सात और आठ जिगर दो काट एक और दो इधर देखो हिन्दुस्तानी मा है जिनकी, हिन्दुस्तानी बाप देसी बंदे राग विदेशी, लेकिन रहे आलाप हिन्दुस्तानी मा है जिनकी, हिन्दुस्तानी बाप देसी बंदे राग विदेशी, लेकिन रहे आलाप नौ और दस कमर ले कस आ कर ले दो दो हाथ एक और दो इधर देखो तीन और चार मैं हूँ वो नार पाँच और च्छे निगाहो से सात और आठ जिगर दो काट एक और दो इधर देखो धन की धुन पर नाच रहे है अपने और बेगाने इस नगरी मे दिल के रिश्ते कौन भला पहचाने धन की धुन पर नाच रहे है अपने और बेगाने इस नगरी मे दिल के रिश्ते कौन भला पहचाने ए ग्याराह बारह मैं बंजारा कहूँ पर सच्ची बात एक और दो इधर देखो तीन और चार मैं हूँ वो नार पाँच और च्छे निगाहो से सात और आठ जिगर दो काट एक और दो इधर देखो तीन और चार मैं हूँ वो नार पाँच और च्छे निगाहो से सात और आठ जिगर दो काट एक और दो इधर देखो

Written by: SameerLyrics © Phonographic Digital Limited (PDL)Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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