Badra Chhaye

Kavita Krishnamurthy

बद्रा छाए नील गगन पे सावन की ऋतु आई बद्रा छाए नील गगन पे सावन की ऋतु आई बिरहन के मन आग लगाई बिरहन के मन आग लगाई धरती की प्यास बुझाई बद्रा छाए नील गगन पे सावन की ऋतु आई नाचे मोर पपिहा गाए रूठे पिया की याद लाए नाचे मोर पपिहा गाए रूठे पिया की याद लाए पास नही हरजाई प्रीतम पास नही हरजाई प्रीतम तन को च्छुए पुर्वाई बद्रा छाए नील गगन पे सावन की ऋतु आई आया सावन आए ना साजन छत पे खड़ी खड़ी भीगे बिरहन आया सावन आए ना साजन छत पे खड़ी खड़ी भीगे बिरहन राहे तक तक थक गई अंखिया राहे तक तक थक गई अंखिया यूँहीं उमर बिताई बद्रा छाए नील गगन पे सावन की ऋतु आई बिजली के डर से लिपटी पिया से पेहली याद ना जाए जिया से बिजली के डर से लिपटी पिया से पेहली याद ना जाए जिया से तन्हा मन को और डराए तन्हा मान को और डराए यादों की शेहनई बद्रा छाए नील गगन पे सावन की ऋतु आई बिरहन के मन आग लगाई बिरहन के मन आग लगाई धरती की प्यास बुझाई बद्रा छाए नील गगन पे सावन की ऋतु आई

Written by: Bappi Lahiri, IndeewarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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