Awadh Mein Aisa Ek Din Aaya

Kavita Krishnamurthy, Hemlata

अवध में ऐसा ऐसा एक दिन आया निष्कलंक सीता पे प्रजा ने मिथ्या दोष लगाया अवध में ऐसा ऐसा एक दिन आया सीता ने जिस नगरी पे ममता का आचल डाला निर्भय होकर उसने मा को दे दिया रेस्मी खाला सीता कुछ समझ ना पाई हट प्रभु रह गये रधु राई यू भाग्या ने करवट बदली वो प्रलय की आँधी आई जनमत परणत विवश राम भी सिया को रोक ना पाया अअवध में ऐसा ऐसा एक दिन आया चलदी सिया जब तोड़कर सब स्नेह-नाते मोह के पाषाण हृदयो में नाअंगारे जगे विद्रोह के आकाश धरती देवता सब देखते ही रह गये विधनो के इस अन्न्याय को क्यो मौन रह कर सह गये

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