Is Raat Ke Sannate Mein
के. जे. येसुदास
इश्स रात के सन्नाटे में
इश्स रात के सन्नाटे में
मैं बनके पवन आती हूँ
हर बार चली जाती हूँ
हर रात साजन आती हूँ
इश्स रात के सन्नाटे में
इश्स रात के सन्नाटे में
जब नींद की चादर ओढ़े
सारी दुनिया सोती हैं
जब नींद की चादर ओढ़े
सारी दुनिया सोती हैं
तब आधी रात को उठ उठकर
मेरी अँखियाँ रोटी है
काँटे से चुबहे जो दिल में
काँटे से चुबहे जो दिल में
वो बनके चुभन लॉटी हूँ
हर बार चली जाती हूँ
हर रात साजन आती हूँ
इश्स रात के सन्नाटे में
इश्स रात के सन्नाटे में
इक जिस्म है और दो चाहेरे
फिर भी है कितने न्यारे
इक जिस्म है और दो चाहेरे
फिर भी है कितने न्यारे
सदियों से मिल नहीं सकते
दो नादिया के दो किनारे
जाने क्या सोख यह पानी
जाने क्या सोख यह पानी
बनके उलजान आती हूँ
हर बार चली जाती हूँ
हर रात साजन आती हूँ
इश्स रात के सन्नाटे में
इश्स रात के सन्नाटे में
गैरों की भूल नहीं है
यह भूल है अपनी मेरी
गैरों की भूल नहीं है
यह भूल है अपनी मेरी
है रूह भटकती फिरती
जुग जुग से लगती फेरे
बिन लाश के जो उड़ता है
बिन लाश के जो उड़ता है
वो बनके कफ़न आती हूँ
हर बार चली जाती हूँ
हर रात साजन आती हूँ
इश्स रात के सन्नाटे में
इश्स रात के सन्नाटे में
मैं बनके पवन आती हूँ
हर बार चली जाती हूँ
हर रात साजन आती हूँ
इश्स रात के सन्नाटे में
इश्स रात के सन्नाटे में
Written by: Bharat Vyas, Sonik-OmiLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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