Ek Na Ek Shama Andhere Mein Jalaye Rakhiye

Chitra Singh

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ एक ना एक शम्मा अँधेरे में जलाये रखिए एक ना एक शम्मा अँधेरे में जलाये रखिए सुबह होने को हैं माहौल बनाये रखिए एक ना एक शम्मा जिनके हाथो से हमें जख्म -ऐ-निहा पहुंचे है जिनके हाथो से हमें जख्म -ऐ-निहा पहुंचे है वो भी कहते है एक जख्मों को छुपाये रखिए एक ना एक शम्मा कौन जाने के वो किस राह गुजर से गुज़रे कौन जाने के वो किस राह गुजर से गुज़रे हर गुजार राह को फूलो से सजाये रखिए एक ना एक शम्मा दामन-ऐ-यार की जीनत ना बने हर आँसू दामन-ऐ-यार की जीनत ना बने हर आँसू अपनी पलकों के लिए कुछ तो बचाये रखिए एक ना एक शम्मा अँधेरे में जलाये रखिए एक ना एक शम्मा

Written by: JAGJIT SINGH, TARIQ BADAYUNILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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