Hamara Bhi Ek Zamna Tha

Chitra Singh

इसी चमन हमारा भी इक ज़माना था यहीं कहीं कोई सदा सा आशियाना था इसी चमन में नसीब अब तो नहीं शाख भी नशेमन की लाडा हुआ कभी फूलन से आशियाना था इसी चमन में तेरी कसम हैं ओ जलद रुथनेवाले तेरी कसम हैं ओ जलद रुथनेवाले गुरुर-ए-इश्क ना था नाज़-ए-आशिकाना था इसी चमन में तुमहिन गुज़र गए दमन बचाकर वर्ण यहां वही शबाब वही दिल वही ज़माना था इसी चमन हमारा भी इक ज़माना था

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