Os Gira Karti Hai Jaisa

Bhupinder Singh

तू रु रु रु रु तू रु रु रु रु तू रु रु रु रु तू रु रु रु रु ओस गिरा करती है जैसे ओस गिरा करती है जैसे फुलो की गरमाइश पर ओस गिरा करती है जैसे फुलो की गरमाइश पर थोड़ा थोड़ा बोले थे वो थोड़ा थोड़ा बोले थे वो थोड़ी सी फरमाइश पर ओस गिरा करती है जैसे फुलो की गरमाइश पर फ़ासले है भी और नही भी नापा तौला कुछ भी नही फ़ासले है भी और नही भी नापा तौला कुछ भी नही लोग बज़िद रहते है फिर भी लोग बज़िद रहते है फिर भी रिश्तो की पैईमैयश पर ओस गिरा करती है जैसे फुलो की गरमाइश पर ता न न ता न न ता न न ता न न ता न न ता न न ता न न ता न न मुँह मोड़ा और देखा कितनी दूर खड़े थे हम दोनो ऍ मुँह मोड़ा और देखा कितनी दूर खड़े थे हम दोनो आप लडे थे हमसे बस एक आप लडे थे हमसे बस एक करवट की गुंजाइश पर थोड़ा थोड़ा बोले थे वो थोड़ा थोड़ा बोले थे वो थोड़ी सी फरमाइश पर ओस गिरा करती है जैसे फुलो की गरमाइश पर फुलो की गरमाइश पर फुलो की गरमाइश पर

Written by: BHUPINDER SINGH, GULZARLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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