Ek Adhurisi Mulaqat Huyi Thi

Mahendra Kapoor, Bhupinder Singh

एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे जाने अब उन से मुलाक़ात हो के न हो एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे जिन हसि राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन जिन हसि राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन जाने उस राह पे अब साथ कभी हो के न हो जिन हसि राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन कुछ बताया ही नहीं हाथ छुड़ाने का सबब कुछ बताया ही नहीं हाथ छुड़ाने का सबब फिर न आने का सबब रूठ के जाने का सबब पूछते उनसे मगर बात कभी हो के न हो एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे मेरी ख़ामोश मोहब्बत न समझा कोई मेरी ख़ामोश मोहब्बत न समझा कोई दिल यूंही छोड़ गया आग में जलता कोई दिल पे अब प्यार की बरसात हो के न हो जिन हसि राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन ज़िन्दगी को किसी चहरे का उजाला न मिला ज़िन्दगी को किसी चहरे का उजाला न मिया थक गए पाँव मगर कोई साया न मिला उनकी ज़ुल्फो के ठाले रात कभी हो के न हो एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे हमें सोचा था के अब साथ न छूटेगा कभी हमें सोचा था के अब साथ न छूटेगा कभी ज़िन्दगी भर का भंधन हैं न टूटेगा कभी दो घडी भी मगर अब साथ कभी अब साथ हो के न हो जाने उस राह पे अब साथ कभी हो के न हो एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे जाने अब उन से मुलाक़ात हो के न हो

Written by: Hassan Kamal, RaviLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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