Machal Kar Jab Bhi Ankhon Se

Bhupinder Singh

मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ होती है मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू मचल के जब भी आँखों से ख़ुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को ख़ुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को चरागों से मज़ारो को बड़ी तकलीफ होती है चरागों से मज़ारो को बड़ी तकलीफ होती है मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू मचल के जब भी आँखों से कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है क्या सच मुच दिल के मारो को बड़ी तकलीफ होती है क्या सच मुच दिल के मारो को बड़ी तकलीफ होती है मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू मचल के जब भी आँखों से तुम्हारा क्या तुम्हे तो राह दे देते है कांटे भी तुम्हारा क्या तुम्हे तो राह दे देते है कांटे भी मगर हम खाकज़ारो को बड़ी तकलीफ होती है मगर हम खाकज़ारो को बड़ी तकलीफ होती है मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ होती है मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू मचल के जब भी आँखों से छलक जाते है दो आंसू

Written by: Gulzar, Kanu RoyLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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