Aaj Bichhde Hain

Bhupinder Singh

आज बिछड़े हैं आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं जिंदगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं आज बिछड़े हैं आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं जिंदगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं आज बिछड़े हैं ज़ख़्म दिखते नहीं अभी लेकिन ज़ख़्म दिखते नहीं अभी लेकिन ठंडे होंगे तो दर्द निकलेगा एश उतरेगा वक़्त का जब भी चेहरा अंदर से ज़र्द निकलेगा आज बिछड़े हैं आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं जिंदगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं आज बिछड़े हैं कहने वालों का कुछ नहीं जाता सहने वाले कमाल करते हैं कौन ढूंढें जवाब दर्दों के लोग तो बस सवाल करते हैं आज बिछड़े हैं आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं जिंदगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं आज बिछड़े हैं कल जो आएगा जाने क्या होगा कल जो आएगा जाने क्या होगा बीत जाए जो कल नहीं आते वक़्त की शाख तोड़ने वालो टूटी शाखों पे फल नहीं आते आज बिछड़े हैं आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं जिंदगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं आज बिछड़े हैं कच्ची मिटटी हैं दिल भी इंसान भी देखने ही में सख्त लगता हैं आंसू पोछे आसुओं के निशाँ खुश्क होने में वक़्त लगता हैं आज बिछड़े हैं आज बिछड़े हैं कल का डर भी नहीं जिंदगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं आज बिछड़े हैं आज बिछड़े हैं आज बिछड़े हैं

Written by: GULZAR, KHAIYAAMLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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