Barsaat

Arjun Kanungo

आओ न यूं ही मिलने कैसे हैं पूछो ना हम आंखें तुमको धुंढे हर दिन, हर दिन, हर दिन... बैठे हैं कबसे हम गुमसुम प्यार के वो सारे मौसम: तेरे संग जीने वे वो पल, वो पल, वो पल मुलक़ात होगी क्या पता हां मैं जी रहा हूं बेवजाह क्या ये वफ़ा काम आएगी एक दिन तू आस पास मेरे हैं न सच बता बरसात हो रही है फिर यहां जो तू न कह सका सावन के रहा बरसात हो रही है फिर यहां कार्ति हवाएं हैं जो गुफ्तगु कोई ना जाने सिरफ मैं सुनूं फ़िर आज ये एहसास हुआ हो जैसे तूने याद किया ये भीगी भीगी यहाँ तुम्हारे बिना है बैठी हुई तन्हा तू आस पास मेरे हैं न सच बता बरसात हो रही है फिर यहां जो तू न कह सका सावन के रहा बरसात हो रही है फिर यहां कल जहां हम मिले थे हूं वहां अब तक थेहरा दूरियों को मीता जरा तेरा इश्क तू निभा ज़रा मुलक़ात होगी क्या पता हां मैं जी रहा हूं बेवजाह क्या ये वफ़ा काम आएगी एक दिन तू आस पास मेरे हैं न सच बता बरसात हो रही है फिर यहां जो तू न कह सका सावन के रहा बरसात हो रही है फिर यहां तू आस पास मेरे हैं-हैं-हैं हैं-हैं-हैं पास-पास मेरे हैं-हैं-हैं हैं-हैं-हैं

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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