Raaste Mein Ye Mod Padta
Anup Jalota
रास्ते में ये मोड़ पड़ता क्यूँ
रास्ते में ये मोड़ पड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
रास्ते में ये मोड़ पड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
रात शक्की मिज़ाज़ थी वरना
रात शक्की मिज़ाज़ थी वरना
रात शक्की मिज़ाज़ थी वरना
चाँदनी का नगर उजड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
रास्ते में ये मोड़ पड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
दोस्ती टूट ने का राज ना कर
दोस्ती टूट ने का राज ना कर
दोस्ती टूट ने का राज ना कर
जड़ जो होती तो पेड़ उखड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
रास्ते में ये मोड़ पड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
हन वो पत्थर हवा से जुक ना सका
हन वो पत्थर हवा से जुक ना सका
हन वो पत्थर हवा से जुक ना सका
फूल होता तो ज़्ज़िद पे आदता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
रास्ते में ये मोड़ पड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
आबरू का सवाल था वरना
आबरू का सवाल था वरना
आबरू का सवाल था वरना
एक टींका हवा से लड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
रास्ते में ये मोड़ पड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
रास्ते में ये मोड़ पड़ता क्यूँ
मिलना होता तो वो बिच्छाड़ता क्यूँ
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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