Chandni Raat Mein Jab

Anup Jalota

चाँदनी रात में, जब चाँद तुम्हें देखेंगा चाँदनी रात में, जब चाँद तुम्हें देखेंगा तुम भी क्या चाँद हो, तारो से यहीं पूछेंगा चाँदनी रात में, जब चाँद तुम्हें देखेंगा तुम भी क्या चाँद हो, तारो से यहीं पूछेंगा चाँदनी रात में लाख पर्दे में रहो फिर भी, यकीं है मुझको लाख पर्दे में रहो फिर भी, यकीं है मुझको तुमको पर्दे में भी तुमको पर्दे में भी, एहसास मेरा छू लेगा तुम भी क्या चाँद हो, तारो से यहीं पूछेंगा चाँदनी रात में सबको हँस हँस के ना देखो ये बुरी आदत है सबको हँस हँस के ना देखो ये बुरी आदत है देखने वाला तो देखने वाला तो, लाज़िम है गलत सोचेंगा तुम भी क्या चाँद हो, तारो से यहीं पूछेंगा चाँदनी रात में, जब चाँद तुम्हें देखेंगा तुम भी क्या चाँद हो, तारो से यहीं पूछेंगा चाँदनी रात में याद आयेंगे तुम्हें, गुजरे जमाने फिर से याद आयेंगे तुम्हें, गुजरे जमाने फिर से जब भी हाथों की जब भी हाथों की, लकीरों को कोई देखेंगा तुम भी क्या चाँद हो, तारो से यहीं पूछेंगा चाँदनी रात में,

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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