रज्ज के रुलाया
रज्ज के हंसाया
मैंने दिल खो के इश्क कमाया
माँगा जो उसने एक सितारा
हमने ज़मीन पे चाँद बुलाया
जो आँखों से हाय
वो जो आँखों से इक पल ना ओझल हुवे
वो जो आँखों से इक पल ना ओझल हुवे
लापता हो गए देखते देखते
सोचती हूँ
सोचती हूँ के वो कितने मासूम थे
सोचती हूँ के वो कितने मासूम थे
क्या से क्या हो गए देखते देखते
सोचती हूँ के वो कितने मासूम थे
सोचती हूँ के वो कितने मासूम थे
क्या से क्या हो गए देखते देखते
वो जो कहते थे बिछड़ेंगे ना हम कभी
वो जो कहते थे बिछड़ेंगे ना हम कभी
अलविदा हो गए देखते देखते
सोचती हूँ
एक मैं एक वो और शामें कई
चाँद रोशन थे तब आसमां में कई
यारियों का वो दरिया उतर भी गया
और हाथों में बस रेत ही रह गयी
कोई पूछे के हाय
कोई पूछे के हमसे खता क्या हुई
कोई पूछे के हमसे खता क्या हुई
क्यूँ खफ़ा हो गए देखते देखते
आते जाते थे जो सांस बन के कभी
आते जाते थे जो सांस बन के कभी
वो हवा हो गए देखते देखते
सोचती हूँ के वो कितने मासूम थे
सोचती हूँ के वो कितने मासूम थे
क्या से क्या हो गए देखते देखते
वो जो कहते थे बिछड़ेंगे ना हम कभी
वो जो कहते थे बिछड़ेंगे ना हम कभी
अलविदा हो गए देखते देखते
सोचती हूँ
Written by: MANOJ MUNTASHIR, MANOJ MUNTASHIR SHUKLA, NUSRAT FATEH ALI KHAN, ROCHAK KOHLILyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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