Jis Dil Mein Basana Chaha Tha

तालात महमूद

जिसे दिल में बसाना चाहा था उसे दिल में अपने बसा न सके और अब ये तमन्ना है दिल की हमें याद भी कुछ भी आ न सके धोखा यह तेरा कब तक चलता जो हाल था आखिर खुल के रहा जो हाल था आखिर खुल के रहा दिल टूट गया अच्छा ही हुआ हम और तो ठोकर खा न सके जिसे दिल में बसाना चाहा था उसे दिल में अपने बसा न सके अब और नहीं उल्झन कोई एक टीस अभी तक बाकी है एक टीस अभी तक बाकी है क्यूँ ग़ैर को हम अपना समझे इस ग़म को दिल से भुला न सके जिसे दिल में बसाना चाहा था उसे दिल में अपने बसा न सके और अब ये तमन्ना है दिल की हमें याद भी कुछ भी आ न सके

Written by: Behzad Lakhnavi, Madan MohanLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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