Maiya Mori Main Nahin Makhan Khayo

सुधा मल्होत्रा

मैया मोरी मैं माही माखन खायो मैया मोरी मैं माही माखन खायो माखन है ही कहा गोकुल मे जो मैं लू खाए पुच्छ तू उनसे जाके मैया नित धोकर ले जाए पाओं को रस से अंग धुलते उनसे मैं दुख पाऔ उनसे दुख पायो मैं नहीं माखन खायो मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो नीर पीए पंछी के मैया नादिया सुख ना पाए पर व्याकुल हो प्यास से पंछी तट पे शोर मचाए ओ आग लगी है जल के माही देख के मैं भरमौ देख के भर्मायो मैं माही माखन खायो मैया मोरी मैं माही माखन खायो हंस को रूप लियो काग़ा ने माखन मोटी खाए चंचल मोहिनी माया सबको पग पग रही नचाए हो पायल की झंकार मे मैया बाल भी ना छुप पयो विलाप च्छुपयो मैं माही माखन खायो मैया मोरी मैं माही माखन खायो

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