Ishq Achchha Lagata Hai
Sreerama Chandra, Kulwant Garaia
अछा लगता है
अछा लगता है
बेताबी है जुनून है
पल भर का ना सुकून है
झूठा है फिर भी,कितना सॅचा लगता है
इश्क़ अछा लगता,हन, इश्क़ अछा लगता
काई सपने यह दिखाए
फिर पल में तोड़ जाए
झूठा है फिर भी कितना सॅचा लगता है
इश्क़ अछा लगता,हन, इश्क़ अछा लगता
दिल जो है बेचारा यह
शीशे का है सारा यह
पथरो की गलियों में
फिरता है मारा मारा यह
दिल जो है बेचारा यह
शीशे का है सारा यह
पथरो की गलियों में
फिरता है मारा मारा यह
कभी हस्ते हस्ते रोए,कभी जागे जागे सोए
जब ज़िद्द करता है तो,छ्होटा बचा लगता है
हन इश्क़ अछा लगता.
आखों में शरारे भी
बातों में इशारे भी
थोड़े झल्ले होते हैं
ये इश्क़ वेल सारे ही
आखों में शरारे भी
बातों में इशारे भी
थोड़े झल्ले होते हैं
ये इश्क़ वाले सारे ही
खुद सरगमें बनाए
और खुद ही गुण-गुनाए
रोते हैं जब कोई सुर कचा लगता है
हन इश्क़ अछा लगता
बेताबी है जुनून है
पल भर का ना सुकून है,
झूठा है फिर भी
कितना सॅचा लगता है
इश्क़ अछा लगता,हन इश्क़ अछा लगता
Written by: KULWANT GARAIA, TARUN RISHILyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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