Kahin Door Jab Din Dhal Jaye
Shibani Kashyap, अभिषेक रैना, Anurag Abhishek
आ आ आ हू हू
कभी यूँही जब हुईं बोझल सांसें, भर आईं बैठे बैठे जब यूँहीं आँखें
कभी यूँही जब हुईं बोझल सांसें, भर आईं बैठे बैठे जब यूँहीं आँखें
कभी मचल के प्यार से चल के, छुए कोई मुझे पर नज़र न आए, नज़र न आए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन, बदन चुराए, चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते, कहीं से निकल आयें जन्मों के नाते,
कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते, कहीं से निकल आयें जन्मों के नाते
धनि थी उलझन वैरी अपना मन, अपना ही होके सहे दर्द पराये दर्द पराये
कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
Written by: Salil Chowdhury, YogeshLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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