Khushfehmiyan
शंकर महादेवन
बुलबुले के जैसा तेरे हवा मे
सर्दियों की धूप सा मिज़ाज है
मौसमों का रंग भी ओढ़ ले
कल नहीं था पर आज ने
नब्ज़ तेज़ इसकी चलती रहे
बेवकुफीयों पे भी नाज़ है
सब ने जाना फिर
भी न खुल सका
यार ये वहीँ राज़ है
क्यों इश्क़ में
इश्क़ लगे आसान
क्यों क्या पता
सच में हुआ है या
होने लगी इश्क़ की खुशफहमियां
इश्क़ फिर किसकी सुनता है
इश्क़ की राहे बनता है(खुशफहमियां)
चाँद पे फिर भी चलता है
इश्क़ का रास्ता(खुशफहमियां)
इश्क़ फिर किसकी सुनता है
इश्क़ की राहे बनता है(खुशफहमियां)
चाँद पे फिर भी चलता है
इश्क़ का रास्ता
रातों में यह लोरी भी गुनगुनाए
सुभह सुभह coffee का कप लगे
बैठू हाथों में जो अखबार लेके
बासी सुर्खियाँ सब लगे
क्यूँ आदतें इश्क़ की है नादान
क्यूँ क्या पता सच में हुआ है
या होने लगी इश्क़ की खुशफहमियाँ
इश्क़ कब किसकी सुनता है
इश्क़ की राहें बुनता है(खुशफहमियाँ)
जान के फिर भी चुनता है
इश्क़ का रास्ता(खुशफहमियाँ)
इश्क़ कब किसकी सुनता है
इश्क़ की राहें बुनता है(खुशफहमियाँ)
जान के फिर भी चुनता है
इश्क़ का रास्ता(खुशफहमियाँ)
दिल की आज कल हर
दिवार पर इश्तियार है ये
हर मुक़ाबला जीतने को उमीदवार है ये
आधी आधी सी कभी पूरी पूरी सी
तरकीब ये लगा के
करे खुद की माने नहीं कहना
क्यूँ इश्क़ में इश्क़ लगे आसान
क्यूँ क्या पता सच में हुआ है
या होने लगी इश्क़ की
इश्क़ कब किसकी सुनता है
इश्क़ की राहें बुनता है
जान के फिर भी चुनता है
इश्क़ का रास्ता
इश्क़ कब किसकी सुनता है
इश्क़ की राहें बुनता है
जान के फिर भी चुनता है
इश्क़ का रास्ता(खुशफहमियाँ)
इश्क़ कब किसकी सुनता है
इश्क़ की राहें बुनता है(खुशफहमियाँ)
जान के फिर भी चुनता है
इश्क़ का रास्ता(खुशफहमियाँ)
इश्क़ कब किसकी सुनता है
इश्क़ की राहें बुनता है(खुशफहमियाँ)
जान के फिर भी चुनता है
इश्क़ का रास्ता(खुशफहमियाँ)
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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