Bharat Bhagya Vidhata Uth
शंकर महादेवन
तीन रंग थे
एक चक्र था
पुरखों ने जिन्हें था सींचा
एक खाब था
चरखे पे बुना
अपना वतन, हिंदोस्तान
है पुकारता
है पुकारता, सुन लो
है पुकारता
है पुकारता सुन लो
एक ख़ाब था
ये ख्वाब बहुत नाज़ुक है जी
ये माँगता हिफ़ाज़त है जी
ये आस लिए है खड़ा
हौले से हम को कह रहा
ओ भारत भाग्य विधाता (उठ)
मत मूँद रे अपनी आँखें (उठ)
ज़मीन ओ आसमाँ की कसम
तुझे थाम वतन का हाथ उठ
एक ख़ाब था
चरखे पर बुना
अपना वतन हिंदोस्तान
है पुकारता
है पुकारता सुन लो
है पुकारता
है पुकारता सुन लो
एक ख़ाब था
है देश तेरा घायल पड़ा
फरियादी बन के वक़्त खड़ा
है फैसला तेरे हाथों में
किस मोड़ मुड़ेगा रास्ता
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा
द्राविड़, उत्कल, बंग (उठ)
गानी है तुझे जय गाथा (उठ)
भारत भाग्य विधाता (उठ)
वो जो ख़ाब था
चरखे पे बुना
अपना वतन हिंदोस्तान
है पुकारता
है पुकारता सुन लो
है पुकारता
है पुकारता सुन लो
है पुकारता (ओ भारत भाग्य विधाता)
है पुकारता (मत मूँद रे अपनी आँखें)
है पुकारता (ज़मीन ओ आसमाँ की कसम)
है पुकारता (तुझे थाम वतन का हाथ उठ)
है पुकारता (पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा)
है पुकारता (द्राविड़, उत्कल, बंग, उठ)
है पुकारता (गानी है तुझे जय गाथा, उठ)
है पुकारता (भारत भाग्य विधाता, उठ)
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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