बहार ही बहार है
फ़िज़ा मैं भी खुमार है
भवर काली से कह रहा
भवर काली से कह रहा
के मुझको तुमसे प्यार है
बहार ही बहार है
किसी ना किसी कोए दिल तुम डोगी
किसी ना किसी से मोहब्बत करोगी
ये दिल है मेरा जो भी चाहू करूँगी
मैं दिल ये किसी पागल को ना दूँगी
ये दिल है मेरा जो भी चाहू करूँगी
मैं दिल ये किसी पागल को ना दूँगी
बहार ही बहार है
फ़िज़ा मे भी खुमार है
है रंगी शमा मौसम है सुहाना
कभी ये कहोगे के च्छेदो तराना
च्चाया है क्या नशा
मुझको है क्या पता
तूही मेरी मंज़िल तू है सहारा
बिना पंख उड़ता है पंछी बेचारा
बहार ही बहार है
फ़िज़ा मे भी खुमार है
के जिस दिन शाम ओर सहर होंगे मेरे
किस दिन तेरे आधार होंगे मेरे
ना दिन कभी वो आएगा
ये ख्वाब टूट जाएगा
ना दिन कभी वो आएगा
ये ख्वाब टूट जाएगा
बहार ही बहार है
फ़िज़ा मे भी खुमार है
बहार ही बहार है
बहार ही बहार है
फ़िज़ा मे भी खुमार है
फ़िज़ा मे भी खुमार है
भवर से कह रही कली
भवर कली से कह रहा
ये जूथ बेसुमर है
Written by: BHUPEN HAZARIKA, MAYA GOVINDLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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