Kuchh Na Kaho

Alka Yagnik, Sairam Iyer

कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो क्या कहना है, क्या सुनना है मुझको पता है, तुमको पता है समय का ये पल, थम सा गया है और इस पल में कोई नहीं है बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो कितने गहरे हल्के, शाम के रंग हैं छलके पर्वत से यूँ उतरे बादल जैसे आँचल ढलके कितने गहरे हल्के, शाम के रंग हैं छलके पर्वत से यूँ उतरे बादल जैसे आँचल ढलके और इस पल में कोई नहीं है बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो सुलगी सुलगी साँसें बहकी बहकी धड़कन महके महके शाम के साये, पिघले पिघले तन मन सुलगी सुलगी साँसें बहकी बहकी धड़कन महके महके शाम के साये, पिघले पिघले तन मन और इस पल में कोई नहीं है बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो खोए सब पहचाने खोए सारे अपने क्या कहना है, क्या सुनना है मुझको पता है, तुमको पता है समय का ये पल, थम सा गया है और इस पल में कोई नहीं है बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो

Written by: Javed AkhtarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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