Maa Ka Mann
सचेत टंडन, परंपरा ठाकुर
मा का मन एक बड़ा समंदर
सब की भूल समाई अंदर
मा का मन एक बड़ा समंदर
सब की भूल समाई अंदर
ना कोई बैर ना कोई शिक़ायत
आप में ही है अपना मंदिर
सतनाम श्री वाहेगुरु
वाहेगुरु वाहेगुरु
सतनाम श्री वाहेगुरु
वाहेगुरु वाहेगुरु
गुरुमुख बखस जमाइयाँ
मन मुखी मूल गवाइयाँ
गुरुमुख बखस जमाइयाँ
मन मुखी मूल गवाइयाँ
सबको बीजाए अपना ये भराए
नोहर भवाई सो खेत जमाइया
गुरु सीखी हरामृत
बीझिया हरामृत
नाम फलमरत पाइयाँ
गुरुमुख बखस जमाइयाँ
मन मुखी मूल गवाइयाँ
सतनाम श्री वाहेगुरु
वाहेगुरु वाहेगुरु
सतनाम श्री वाहेगुरु
वाहेगुरु वाहेगुरु
बुरा जो बोले तुझसे कोई
अपने मन तू माफी बोए
प्रेम मिटाए द्वेष घना
क्रोध करे जो सब खोए
सतनाम श्री वाहेगुरु
वाहेगुरु वाहेगुरु
सतनाम श्री वाहेगुरु
वाहेगुरु वाहेगुरु
सतनाम श्री वाहेगुरु
वाहेगुरु वाहेगुरु
सतनाम श्री वाहेगुरु
वाहेगुरु वाहेगुरु
Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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