Ajnabi Lagta Hai

Roop Kumar Rathod

धूप और छाँव रात और दिन तुम मैं सही ग़लत एक ही सच के दो विभिन्ना पायलू है एक ही है सच हम सिर्फ़ सच अजनबी लगता है आज मेरा ही अक्स अजनबी लगता है आज मेरा ही अक्स मुझमे मेरे अलावा भी रहता है एक और शाकस अजनबी रेत के ढेर पर ख्वाईषों का दिया रेत के ढेर पर ख्वाईषों का दिया बदले लाउ लमहा लमहा ख्वाईषों का दिया मिट्टी का मॅन मिट्टी का टन मिट्टी में ही देह जाएगा ख्वाईषों का दिया ख्वाईषों का दिया अजनबी लगता है आज मेरा ही अक्स मुझमे मेरे अलावा भी रहता है एक और शाकस सिने में है जाम चुकी बर्फ जो गुरूर की सिने में है जाम चुकी बर्फ जो गुरूर की आहिस्ता ही पिघलेगी बर्फ वो गुरूर की साँसों को गिन साँसों की सुन साँसें ही कर देगी पानी बर्फ यह गुरूर की बर्फ यह गुरूर की अजनबी लगता है आज मेरा ही अक्स अजनबी लगता है आज मेरा ही अक्स मुझमे मेरे अलावा भी रहता है एक और शाकस अजनबी अजनबी अजनबी

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