Bulleya

Sunidhi Chauhan, Ankit Tiwari, Rohan Singh

मेरी रूह का परिंदा फड़फड़ाये लेकिन सुकूँ का जज़ीरा मिल न पाए वे की करां, वे की करां इक बार को तजल्ली तो दिखा दे झूठी सही मगर तसल्ली तो दिला दे वे की करां, वे की करां रांझण दे यार बुल्लेया सुन ले पुकार बुल्लेया तू ही तो यार बुल्लेया मुर्शिद मेरा, मुर्शिद मेरा तेरा मुकाम कमले सरहद के पार बुलेया परवर दिगार बुलेया हाफ़िज़ तेरा, मुर्शिद मेरा मैं काबुल से लिपटी तितली की तरह मुहाजिर हूँ एक पल को ठहरूँ, पल में उड़ जाऊँ वे मैं ता हूँ पगडण्डी लब दी, ऐ जो राह जन्नत दी तू मुड़े जहाँ मैं साथ मुड़ जाऊँ तेरे कारवां में शामिल होना चाहूँ कमियाँ तराश के मैं क़ाबिल होना चाहूँ वे की करां, वे की करां... रान्झणा वे, रान्झणा वे जिस दिन से आशना से, दो अजनबी हुए हैं तन्हाइयों के लम्हें सब मुल्तवी हुए हैं क्यूँ आज मैं मोहब्बत फिर एक बार करना चाहूँ ये दिल तो ढूंढता है, इनकार के बहाने लेकिन ये जिस्म कोई, पाबंदियां न माने मिल के तुझे बगावत, खुद से ही यार करना चाहूँ मुझमें अगन है बाकी आज़माले ले कर रही हूँ खुद को मैं तेरे हवाले वे रान्झणा, वे रान्झणा रांझण दे यार बुल्लेया...

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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