Dil Ki Gullak

प्रतिभा सिंग बाघेल, रिक बासू

दिल के गुल्लक में प्यार के सिक्के थोड़े थोड़े डाल के जमा कर लिए ओ दिल के गुल्लक में प्यार के सिक्के थोड़े थोड़े डाल के जमा कर लिए कहते है इश्क में दर्द बहुत है थोड़े थोड़े बाट के दवा कर लिए ये इश्क अब ले जो इंतहा देने चले हम बेपरवाह चाय की वो टपरी पे भीगी भीगी छतरी में इश्क़ ये बढ़ता जाये सौंधी सौंधी सर्दी में बातों की ये नर्मी में इश्क़ ये बढ़ता जाये चाय की वो टपरी पे(ओ) भीगी भीगी छतरी में(ओ) इश्क़ ये बढ़ता जाये(ओ) सौंधी सौंधी सर्दी में(ओ) बातों की ये नर्मी में(ओ) इश्क़ ये बढ़ता जाये(ओ) हं दिल के गुल्लक में प्यार के सिक्के थोड़े थोड़े डाल के जमा कर लिए दिन का हो कोई भी लम्हा पर तुझको जो देखू वो ही सुबह है चुप चुप के और जो इशारों में हो तो उस इश्क का कुछ अलग ही मजा है लम्हों ने लिख दी इक दास्तां खामोशियों की पढ़ते ज़ुबां थोड़ी सी बेसबरी में थोड़ी सी बेखबरी में इश्क ये बढ़ता जाए खिली खिली खाईशो में गीली गीली बारिशों में इश्क ये बढ़ता जाए थोड़ी सी बेसबरी में(ओ) थोड़ी सी बेखबरी में(ओ) इश्क ये बढ़ता जाए(ओ) खिली खिली खाईशो में(ओ) गीली गीली बारिशों में(ओ) इश्क ये बढ़ता जाए(ओ) हो ये क्या घड़ी है हम अजनबी है दुनियां मेरी क्यों मुझसे खफा है लब कुछ कहे ना दिल चुप रहे ना जुदा होना तुझसे खुदको सजा है अब इश्क़ लेता जो इंतहा देखो अकेले कैसे भला तुझसे ही रूठी रूठी तुझमे ही टूटी टूटी जिंदगी की उलझी राहे टेढ़ी मेढ़ी उची नीची लकीरों से दिल पे खींची जिंदगी की उलझी राहे हं दिल के गुल्लक में प्यार के सिक्के थोड़े थोड़े डाल के जमा कर लिए

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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