Bol Na Halkay Halkay

Rahat Fateh Ali Khan

घूँघट ही बना लो रोशनी से नूर के धागे तोड़ लाओ चाँदनी से नूर के घूँघट ही बना लो रोशनी से नूर के शर्म आ गयी तो आघोष मे लो हो साँसों से उलझी राहे मेरी साँसे बोल ना हल्के हल्के, बोल ना हल्के हल्के होंठ से हल्के हल्के, बोल ना हल्के बोल ना हल्के हल्के, बोल ना हल्के हल्के होंठ से हल्के हल्के, बोल ना हल्के आ नींद का सौदा करे, इक ख्वाब दे इक ख्वाब ले आ नींद का सौदा करे, इक ख्वाब दे इक ख्वाब ले इक ख्वाब तो आँखो मे है, इक चाँद के तकिये तले कितने दीनो से ये आसमान भी सोया नही है, इसको सुला दे बोल ना हल्के हल्के, बोल ना हल्के हल्के होंठ से हल्के हल्के, बोल ना हल्के म प नी सा ग म रे सा ग म रे प नी सा दा ग म दा प उमरे लगी कहते हुवे, दो लब्ज़ थे इक बात थी उमरे लगी कहते हुवे, दो लब्ज़ थे इक बात थी वो इक दिन सौ साल का, सौ साल की वो रात थी कैसा लगे जो चुप चाप दोनो हो पल पल मे पूरी सादिया बिता दे बोल ना हल्के हल्के,बोल ना हल्के हल्के होंठ से हल्के हल्के बोल ना हल्के हल्के ओ धागे तोड़ लाओ चाँदनी से नूर के ओ घूँघट ही बना लो रोशनी से नूर के शर्म आ गयी तो आघोष मे लो हो सांसो से उलझी रहे मेरी साँसे (हो सांसो से उलझी रहे मेरी साँसे) बोल ना हल्के हल्के, बोल ना हल्के हल्के होंठ से हल्के हल्के, बोल ना हल्के

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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