Na Tum Jaano Na Hum

Pratap Poppi, Deepanshu Ruhela

ये मदहोशियाँ, ये तन्हा ईयाँतसव्वुर में है किसकी परछाईयाँ ये भीगा समां, उमंगें जवां मुझे इश्क ले जा रहा है कहाँ क्यों गुम है हर दिशा क्यों होता है नशा क्यों आता है मज़ा ना तुम जानो ना हम ना तुम जानो ना हम धड़कता भी है, तड़पता भी है ये दिल क्यों अचानक बहकता भी है महकता भी है, चहकता भी है ये दिल क्या वफ़ा को समझता भी है क्यों मिलती है नज़र क्यों होता है असर क्यों होती है सहर ना तुम जानो ना हम ना तुम जानो ना हम

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