खिड़की पे तेरे सुबह मेरी होती
चाय की प्याले के तरह तू साथ होती
हल्के से तेरा यूँ हसना
शर्मा के सिर झुकना
हा यह प्यार ही है
है ना
हम्म हम्म हा यह प्यार ही है
बोलो है ना
मोरा सैयाँ मोसे बोले ना हाए
मोरा सैयाँ हाए मोसे बोले ना हाए
मोरा सैयाँ मोसे बोले ना हाए
धीमे से इक दिन मेरे घर तू आना
सातों जनम मुझको तेरे संग बिताना
सपने मेरे रोते फिरें
खिड़की पे जो तू ना दिखे
ढलते ही शाम आई रोशनी
यह क्या मगर हो गया
जो गाने सुनाए थे खिड़की पे बैठे
जो सपने सजाए थे खिड़की पे बैठे
यून बेवफ़ाई के पर्दे गिरा कर
तोड़ा मेरा दिल क्यूँ तूने ऐसे
क्या यह प्यार ही है
यह है क्या
गर यह प्यार नही
तो है क्या
क्या यह प्यार ही है
यह है क्या
गर यह प्यार नही
तो है क्या
मोरा सैयाँ मोसे बोले ना हाए
मोरा सैयाँ मोसे बोले ना हा
मोरा सैयाँ मोसे बोले ना
मोरा सैयाँ मोसे बोले ना
Written by: अमरभ बॅनर्जीLyrics © Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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