Wo Ban Sanwar Kar Chale Hein Ghar Se

पंकज उधास

वो बन सवर कर चले है घर से वो बन सवर कर चले है घर से है खोए खोए से बेख़बर से दुपट्टा ढलका हुया है सर से खुदा बचाए बुरी नज़र से(बुरी नज़र से) खुदा बचाए बुरी नज़र से वो बन सवर कर चले है घर से कभी जवानी की बेखुदी मे जो घर से बाहर कदम निकालो सुनहरे गालो पे मेरी मानो तुम एक कला सा तिल सज़ा लो बदन का सोना चुरा ले सारा कोई नज़र उठ के कब किधर से खुदा बचाए बुरी नज़र से(बुरी नज़र से) खुदा बचाए बुरी नज़र से ये नर्म ओ नाज़ुक हसीन से लब के जैसे दो फूल हो कंवल के ये गोर गोरे पे लाल रंगत के जैसे होली का रंग छलके सांभालो इन लांबी चोटियों को लिपट ना जाए कहीं करम से खुदा बचाए बुरी नज़ार से बुरी नज़ार से खुदा बचाए बुरी नज़ार से वो बन संवार के चले है घर से है खोये खोये बेखबर से दुपट्टा ढलका हुआ है सर से खुदा बचाए बुरी नज़ार से बुरी नज़ार से खुदा बचाए बुरी नज़ार से खुदा बचाए खुदा बचाए बुरी नज़ार से यर शहर पत्थर का शहर ठहरा कहां मिलेगी यहां मोहब्बत ये शीशे जैसा बदन तुम्हार मेरी दुआ है रहें सलामत तुम्हारे सपनो की नन्ही कलिया बची रहें धूप की असर से खुदा बचाए बुरी नज़ार से बुरी नज़ार से खुदा बचाए बुरी नज़ार से वो बन संवार के चले है घर से है खोये खोये बेखबर से दुपट्टा ढलका हुआ है सर से खुदा बचाए बुरी नज़ार से बुरी नज़ार से खुदा बचाए बुरी नज़ार से बुरी नज़ार से खुदा बचाए बुरी नज़ार से बुरी नज़ार से खुदा बचाए बुरी नज़ार से बुरी नज़ार से

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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