कितने किस्म की बेईमानी
कितने किस्म के बेईमान
एक एक गिनवाता हू
ज़रा सुनना देकर ध्यान
ना इज़्ज़त की चिंता
ना फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
ना इज़्ज़त की चिंता
ना फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
बात के झूठे नज़र के खोटे दिल के बड़े कठोर
बड़ा हैरान हुआ जब देखा बैठे चारो ओर
मुझे देख इस महफ़िल मे इसलिए मचाए शोर
के बड़े बड़े चोरो मे आ गया कहा से छोटा चोर
जो कहना हैं वो कह दू
परवाह नही इस अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
इस दुनिया मे देखे हैं कुछ ऐसे भी इंसान
खुद को देवता समझे और दूजे को बेईमान
आज फोड़ दू सबके भांडे टूट जाए अभिमान
अपने अपने दिल से पूछो कौन हैं बेईमान
सूरज सी दिशा दी हैं
पर सीरत हैं शैतान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
बड़ी बेईमानी करते कुछ बड़े घरो के जाए
बड़े नाम की चादर से चेहरे को रहे छुपाये
औरो पे वो दोष लगाकर अपने पाप छुपाये
उसको मान मिले जग मे जो बेईमान बन जाए
माँ बाप को खबर नही हैं
अरे ऐसी नेक संतान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
अरे ना इज़्ज़त की चिंता
ना फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
Written by: JAIKSHAN SHANKAR, VARMA MALIKLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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