O Kaal Teri Jholi Mein

Mohammed Rafi

ओ काल ओ काल ओ काल तेरी झोली मे क्या क्या भरे ओ काल तेरी झोली मे क्या क्या भरे हस्ती हुई खुशिया भरे रोते हुए आँसू भरे ओ काल तेरी झोली मे क्या क्या भरे जिन पे छइया थी सुखो की आज दुख हैं च्छा रहे हे मुकुत्ढ़ारी, भिखारी आज बनके जा रहे प्रात को जो चढ़ता सूरज सांझ को वो ही गिरे ओ काल तेरी झोली मे क्या क्या भरे गोद मे बेलो की झूले झुलके जो मुस्कुराए छीन कर वो फूल तूने दूर कितनी जा गिराए ओ काल तू बलवान हैं कोई करे भी क्या करे ओ काल तेरी झोली मे क्या क्या भरे महलो के जो रहने वाले खोजने साया चले तन हैं नंगा पैर नंगे लब जले भूतल जले ओ काल तेरी चाल मे कोई जिए कोई भरे ओ काल तेरी झोली मे क्या क्या भरे ओ काल तेरी झोली मे क्या क्या भरे ओ काल तेरी झोली मे क्या क्या भरे

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