Mohabbat

Mohammed Irfan

मुझे हा मोहब्बत हुई है एक और हसरत हुई है गुस्ताख़ी दिल से हुई है क्या करूँ कुछ सूझता ही नही है जाने या ग़लत क्या सही है हर चीज़ बदली हुई है क्या कहु मैं तेरा यूँ हो गया खुद की तो सुध बुध ही नही रूबरू जो तू नही हो जाए साँसे भी कहीं वो आए मुस्कुराए मुस्कुरकर ये कहा हा छूलो ख्वाब मेरे जिनमे हो तुम रवाँ मैने हस के उनको ये बोला जो ना कह सका मैं तू बोला तूने राज़ दिल का जो खोला मान लू जाने कैसी हरकत हुई थी मेरे दिल मे बरकत हुई थी या खुदा की रहमत हुई थी क्या कहु मैं तेरा यूँ हो गया खुद की तो सुध बुध ही नही ये ये रूबरू जो तू नही हो जाए साँसे भी कहीं कर लेना तू बात मेरे दिल कह देना एक दफ़ा मेरे दिल हूँ मैं तन्हा महफ़िल वही है एक वो ही मंज़िल मेरी है अब तय जो कर मैने ली है जीत लू चलो माना जो आब यकीन है मुझे हो गयी आशिकी है पर जान तू नाज़मी है क्या करूँ मैं तेरा यूँ हो गया खुद की तो सुध बुध ही नही रूबरू जो तू नही हो जाए साँसे भी कहीं

Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind

Create your own version of your favorite music.

Sing now

Kanto is available on:

google-playapp-storehuawei-store