Madhur Kal Tu

Prashant Ingole, Shweta Mohan, Armaan Malik, Mani Sharma

मधुर कल तू पल को रोके बिना तू क्यूँ है रुक गया ऑरी अंगू ते कोई दया के बिना चालाकी से वो गिरी बिजली गिरे काली हो रात नींद में हो जागती आँख मॅन की है आशा एक हर दूं जैसे धीमे से शाकुन्तलाम मधुर कल तू पल को रोके बिना तू क्यूँ है रुक गया ओ रे मनमीत छाया बन के मैं हूँ लो हर पल ही आस पास तारों से डोर हो चंदा रह पाए क्या तार्रों की माया में राजा गूं जाए तो स्मृति छिन्न फिसले भी यादें फिसेलेगी क्या यादें लौट आएगी तुम भी आओगी क्या और कितना रहना तुम्हारे बिना यह रोना बस हो गया मधुर कल तू पल को रोके बिना तू क्यूँ है रुक गया मीठी सी दूरी में प्रेम गहराए क्या बिना अंत वेदना दोष मेरा है क्या मार्ग में प्रेम की आयेज मैं बदुन क्या जो ना तुम साथ हो सफ़र का होगा क्या मिलन अपना वक़्त यह रोक पाएगा क्या क्या प्रेम को रोक पाएगा मधुर कल तू पल को रोके बिना तू क्यूँ है रुक गया बिजली गिरे काली हो रात नींद में हो जागती आँख मॅन की है आशा एक हर दूं जैसे धीमे से शाकुन्तलाम

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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