APNE HAATHON KI LAKIRON MEIN

Manhar Udhas

अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको मैं हूँ तेरा तू नसीब अपना बना ले मुझको अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको अपने हाथों की मैं जो काँटा मैं जो काँटा हूँ तो चल मुझसे बचाकर दामन मैं जो काँटा मैं जो काँटा हूँ तो चल मुझसे बचाकर दामन मैं हूँ गर फूल जुड़े में सज़ा ले मुझको मैं हूँ गर फूल जुड़े में सज़ा ले मुझको अपने हाथों की मैं खुले दर के किसी घर का हूँ समान प्यारे मैं खुले दर के किसी घर का हूँ समान प्यारे टूटा बेफां कभी आके चुरा ले मुझको अपने हाथों की कल की बतौर हे कल की बतौर हे में अब सह रहु न रहूं कल की बतौर हे में अब सह रहु न रहूं कल की बतौर हे में अब सह रहु न रहूं जितना जी चाहे तेरा आज उतना सत्ता ले मुझको जितना जी चाहे तेरा आज उतना सत्ता ले मुझको अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको अपने हाथों की

Written by: ARJAN DASWANI, QATEEL SHIFAILyrics © Universal Music Publishing Group, Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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