Umadh Ghumadh Kar Aai Re Ghata

मन्ना डे, Lata Mangeshkar

हो उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा हो उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा कारे-कारे बदरा की छाई-छाई रे घटा जब सनन पवन को लगा तीर बादल को चीर निकला रे नीर निकला रे नीर झर-झर झर-झर अब धार झरे ओ धरती जल से माँग भरे ओ उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा नन्हीं-नन्हीं बूँदनियों की खनन-खनन खन खन्जरी बजाती आई बजाती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया बरखा दुल्हनिया छुक-छुक छुक-छुक सैंया आज डारूँ तोरे गले बैंया आज डारूँ तोरे गले बैंया मैं तो नाचूँ तेरे संग-संग सैंया हो सैंया हो सैंया(हो) हो हो हो हो हो सावन का सन्देसा लेकर निकली जोगन घर से जो कोई इसके प्यार को तरसे वहीं नवेली बरसे कारे-कारे कारे-कारे बादरवा की झनन-झनन झन झाँझरी बजाती आई बजाती आई है देखो भाई बरखा दुल्हनिया बरखा दुल्हनिया हो हो हो हो उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा कारे-कारे बदरा की छाई-छाई रे घटा जब सनन पवन को लगा तीर बादल को चीर निकला रे नीर निकला रे नीर झर-झर झर-झर अब धार झरे ओ धरती जल से माँग भरे ओ उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा मीठी-मीठी मस्त पवन की सनन-सनन सन बाँसुरी बजाती आई बजाती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया बरखा दुल्हनिया हरी-हरी चुनरी साजे कलियों का कँगना बाजे कलियों का कँगना बाजे मन बाजे देखो बरखा की अँखियाँ लाजे हो लाजे हो लाजे आहा हा हा देख के अपनी बरखा रानी की मीठी मुस्कान रे सावन के दूल्हे की चमक उठी शान रे गोरी-गोरी गोरी-गोरी बिजुरिया की चमक-चमक चम पंखड़ी चमकाती आई चमकाती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया हो हो हो हो हो उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा कारे-कारे बदरा की छाई-छाई रे घटा जब सनन पवन को लगा तीर बादल को चीर निकला रे नीर निकला रे नीर झर-झर झर-झर अब धार झरे ओ धरती जल से माँग भरे ओ उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा रंग-बिरंगी झोली भरके भरन-भरन भण्डार रे लुटाती आई लुटाती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया बरखा दुल्हनिया धरती ने गठरी खोली भरी-भरी अपनी झोली भरी-भरी अपनी झोली अनमोली भैया खेलो-खेलो ख़ुशियों की होली हो होली हो होली धन ये पवन धन ये बरखा धन धन हमरी धरती(हो हो हो हो हो) सबके जीवन के ये अधूरे सपने पूरे करती देखो-देखो देखो-देखो घर-घर हमारे लहर-लहर आनन्द की लहराती आई लहराती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया बरखा दुल्हनिया हो उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा कारे-कारे बदरा की छाई-छाई रे घटा जब सनन पवन को लगा तीर बादल को चीर निकला रे नीर निकला रे नीर झर-झर झर-झर अब धार झरे ओ धरती जल से माँग भरे ओ उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा

Written by: Bharat Vyas, Vasant DesaiLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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