Do Nainon Ne Jaal Bichhaya

Lata Mangeshkar

दो नैनो ने जाल बिच्छाया और दो नैना उलझ गये उलझ गये एक वही बेदर्द ना समझा दुनियावले समझ गये समझ गये दिल था एक बचपन का साथी वो भी मुझको छोड़ गया वो भी मुझको छोड़ गया निकट अनाड़ी अंजाने से मेरा नाता जोड़ गया मैं बिरहण प्यासी की प्यासी सावन आए बरस गये बरस गये बैठे हैं वो तन मन घेरे बैठे हैं वो तन मन घेरे बैठे हैं वो तन मन घेरे फिर भी कितनी दूर हैं वो मैं तो मारी लाज शरम की किस कारण मजबूर हैं वो जल में डूबे नैन हमारे फिर भी प्यासे तरस गये तरस गये दो नैनों ने जाल बिच्छाया

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