Raat Kali Ek Khwab Mein Aai

Kishore Kumar

हम्म रात कली एक ख़ाब में आई और गले का हार हुई रात कली एक ख़ाब में आई और गले का हार हुई सुबह को जब हम नींद से जागे आँख उन्हीं से चार हुई रात कली एक ख़ाब में आई और गले का हार हुई चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत चाहे हँसी में उड़ा दो ये क्या हुआ मुझे मुझ को ख़बर नहीं हो सके तुम्हीं बता दो चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत चाहे हँसी में उड़ा दो ये क्या हुआ मुझे मुझ को ख़बर नहीं हो सके तुम्हीं बता दो तुम ने क़दम तो रखा ज़मीं पर सीने में क्यूँ झनकार हुई रात कली एक ख़ाब में आई और गले का हार हुई यूँ तो हसीनों के माहजबीनों के होते हैं रोज़ नज़ारे पर उन्हें देख के देखा है जब तुम्हें, तुम लगे और भी प्यारे यूँ तो हसीनों के माहजबीनों के होते हैं रोज़ नज़ारे पर उन्हें देख के देखा है जब तुम्हें, तुम लगे और भी प्यारे बाँहों में ले लूँ ऐसी तमन्ना एक नहीं, कई बार हुई रात कली एक ख़ाब में आई और गले का हार हुई सुबह को जब हम नींद से जागे आँख उन्हीं से चार हुई रात कली एक ख़ाब में आई और गले का हार हुई

Written by: MAJROOH SULTANPURI, R D BURMANLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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