Jane Kya Sochkar

Kishore Kumar

जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा इक पल रात भर नहीं गुज़रा जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा अपनी तनहाई का औरों से ना शिकवा करना अपनी तनहाई का औरों से ना शिकवा करना तुम अकेले ही नहीं हो सभी अकेले हैं ये अकेला सफ़र नहीं गुज़रा जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा दो घड़ी जीने की मोहलत तो मिली है सबको दो घड़ी जीने की मोहलत तो मिली है सबको तुम भी मिल जाओ घड़ी भर तो ये ग़म होता है इस घड़ी का सफ़र नहीं गुज़रा जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा इक पल रात भर नहीं गुज़रा जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा

Written by: Gulzar, R D BurmanLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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