Bulleya
Shilpa Rao, Kedrock, Sd Style, Amit Mishra
मैं काबुल से लिपटी तितली की तरह मुहाजिर हूँ
एक पल को ठेहरु
पल मैं उड़ जाऊ
वे मैं तँ हूँ पगडण्डी लभदी ऐ जो राह जन्नत दी
तू मुड़े जहाँ मैं साथ मुद जाऊं
तेरे कारवां में शामिल होना चहुँ
कमिया तराश के मैं क़ाबिल होना चहुँ
वे की करा
वे की करा
रांझन दे यार बुलया
सुन ले पुकार बुलया
तू ही तोह यार बुलया
मुर्शिद मेरा
तेरा मुकाम कमले
सरहद के पार बुलया
परवरदिगार बुलया
हाफ़िज़ तेरा
मुर्शिद मेरा
जिस दिन से आशना से दो अजनबी हुवे हैं
तन्हाइयों के लम्हे सब मुल्तबी हुवे हैं
क्यों आज मैं मोहब्बत
फिर एक बार करना चहुँ
हां
मुझमे अगन है बाकी आज़मा ले
ले कर रही हूँ मैं खुद को तेरे हवाले
वे रांझना
वे रांझना
रांझन दे यार बुलया
सुनले पुकार बुलया
तू ही तोह यार बुलया
मुर्शिद मेरा
तेरा मुकाम कमले
सरहद के पार बुलया
परवरदिगार बुलया
हाफ़िज़ तेरा
मुर्शिद मेरा
Written by: AMITABH BHATTACHARYA, PRITAM CHAKRABORTYLyrics © Universal Music Publishing Group, Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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