Jeete Hain Chal

कविता शेथ

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् कहता ये पल खुद से निकल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल ग़म मुसाफ़िर था जाने दे धूप आँगन में आने दे जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल तलवों के नीचे है ठंडी सी एक धरती कहती है आजा दौड़ेंगे यादों के बक्सों में ज़िन्दा सी खुशबू है कहती है सब पीछे छोड़ेंगे उँगलियों से कल की रेत बहने दे आज और अभी में खुद को रहने दे कहता ये पल खुद से निकल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल एक टुकड़ा हसीं चख ले इक डली ज़िन्दगी रख ले जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल हिचकी रुक जाने दे सिसकी थम जाने दे इस पल की ये गुज़ारिश है मरना क्यों जी लेना बूंदों को पी लेना तेरे ही सपनों की बारिश है पानियों को रस्ते तू बनाने दे रोशनी के पीछे खुद को जाने दे कहता ये पल खुद से निकल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् कहता ये पल खुद से निकल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल जीते हैं चल

Written by: PRASOON JOSHI, VISHAL KHURANALyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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