Ishq De Fanniyar

Jyotica Tangri, Prashant Kumar

इश्क़ दे फनियर लड़ गये मेरी जान के पीछे पड़ गये सीढ़ी लाके देखो मेरे दिल की छत पे चढ़ गये सौ सौ आवाज़ें मारे, अखियाँ मारे अखियाँ मारे अखियाँ उसे नीचे छत से उतारे अखियाँ, उतारे अखियाँ उतारे अखियाँ सौ सौ आवाज़ें मारे अखियाँ इकक उसका नाम पुकारे सोहणे रंग दे रांझेया तेरे ही जैसे लगते हैं सारे डर लगता ना हो जाए यारी, सोहणे रंग दे रांझेया पूछ ले तू चाँद से गिनती हूँ तारे डर लगता ना हो जाए यारी सोहणे रंग दे रांझेया हो उस पकड़े कौन सपेरा, है फॅन उसके फुर्तीले वो तीखी जीभ से गाए तो लगते राग सुरीले सुन सुन रात गुज़ारे अखियाँ इक उसका नाम पुकारे सोहणे रंग दे रांझेया तेरे ही जैसे लगते हैं सारे डर लगता ना हो जाए यारी सोहणे रंग दे रांझेया पूच्छ ले तू चाँद से गिनती हूँ तारे डर लगता ना हो जाए यारी सोहणे रंग दे रांझेया हो

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