Muskura
SubSpace, जे त्रिक्ष
सुहाना दिन है छ्चोड़ ना रातों मे क्या रखा है
तू अपना देख इनकी बातों मे क्या रखा है
सराह ले फूल को तू कातों मे क्या रखा है
असल भी होगा जो इरादो मे कर सकता तू
रातों मे क्या रखा है
तू अपना देख इनकी बातों मे क्या रखा है
सराह ले फूल को तू कातों मे क्या रखा है
असल भी होगा जो
हा हम चल पड़े
हा चमकते हम खड़े
चाँद को बोला सूरज को तू बोल्डे हुंसे कम जले
भर ली जान अब किस्मत को भी बोल ना हुंसे कम लदे
जो हुंसे आस लगाए बोल उन्हे ना ख्वाहिश कम करे
मुस्कुराता मैं
ताकि खुशियाँ और बढ़े
सामने वाला हुमको देख कर चार कदम ही और चले
माँगने वाला हुंसे लेकर खुश रहे, बोझ ना महसूस करे
यहा लेना देना चलते रहना डोर तक है
घर पे बोला फिकर नई
हाथ मे लेके निकला कलाम हू मैं ट्रिग्गर नई
मिली वो रास्ते मे तो वक़्त गुज़ारा साथ भी
पसंद थी उसकी बोल चल से ज़्यादा मुझको फिगर नई
पर वो भी ख़तरनाक
बोल सकता झूठ नई
चल अब वो किस्सा ख़तम, भाई अब मेरा मूड नई
अपनो के लिए खुशियाँ भर दूँगा
शर्मा जी का लड़का भी है बीट पे तो कुछ तो अछा कर ही लूँगा
ज़िंदगी को लेता हल्के मे
जब तक चले साँस चलते रह
कल ना होगा कुछ बुरा!
मुस्कुरा, मुस्कुरा, मुस्कुरा, मुस्कुरा, मुस्कुरा
सुहाना दिन है छ्चोड़ ना रातों मे क्या रखा है
तू अपना देख इनकी बातों मे क्या रखा है
सराह ले फूल को तू कातों मे क्या रखा है
असल भी होगा जो इरादो मे कर सकता तू
रातों मे क्या रखा है
तू अपना देख इनकी बातों मे क्या रखा है
सराह ले फूल को तू कातों मे क्या रखा है
असल भी होगा जो!
तू अपना देख
बड़े दे बड़ा सपना देख
है ज़ख़्म आते
तू बेहतर बनके चखमा दे
तुझे दिखती मंज़िल
तो लोगो को ना चश्मा दे
बस दिखता जिनको मानने दे
ज़माना सही था पर अब उस बात को भी ज़ामाने बीत गये
हम ख़ाके धोखा ईमानदारी सिख गये
घर से जब पैसे हुए ख़तम तो ढूँढा चारो
ओर वाक़िफ़ असलियत से होके
कांजारी और दुनियादारी सिख गये
हुमारे केस मे हम, कलमकारी सिख गये
क़िस्सो को जोड़ के हम अमर कहानी लिख गये
उनको लगता था ट्रेंड पर हम तो सालो टिक गये
पहले थे बस कलाकार अब व्यापार भी सिख गये
पर ये तो शुरूवात है
मुश्किलों से तालुक़ात है
गॅरेंटीड है कुछ नई
बस रिस्क अपने साथ है
है अपना दिया सब कुछ
तो स्ट्रेस की क्या बात है
जीटा तू तो सही
वरना वापस करना स्टार्ट है! चलो
ज़िंदगी को लेता हल्के मे
जब तक चले साँस चलते रह
कल ना होगा कुछ बुरा!
मुस्कुरा, मुस्कुरा, मुस्कुरा, मुस्कुरा, मुस्कुरा
सुहाना दिन है छ्चोड़ ना रातों मे क्या रखा है
तू अपना देख इनकी बातों मे क्या रखा है
सराह ले फूल को तू कातों मे क्या रखा है
असल भी होगा जो इरादो मे कर सकता तू
रातों मे क्या रखा है
तू अपना देख इनकी बातों मे क्या रखा है
सराह ले फूल को तू कातों मे क्या रखा है
असल भी होगा जो!
Written by: Siddhartha SharmaLyrics © TUNECORE INCLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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