Jazbaat
SubSpace, जे त्रिक्ष
हन करता ग़लती आख़िर हूँ मई एक इंसान ही
बेचे अपने गाने पर कभी बेचा ये ईमान नही
पाला प्यार नफ़रत पालने के अरमान नही
हन काँटे बो के कभी खिलता गुलिस्ताँ नही
हन करता मदद भी बस करता मई आएलान नही
मिलती खुशी खुद को किसी पे करता मई अहसान नही
पैसा सच मे बोलता और यहा सुनते भी है सब
बस घमंड आता साथ तो कोई कर पाता समान नही
ये ज़िंदगी है फेर नही
मर्डर 10 या 100, सज़ा मौत है
क्राइम इतना ज़्यादा किया पीछे रह गया कोर्ट है
इंसाफ़ के लिए लड़ने को ग़रीब कांपता रोज
अब तो लगता लेडी जस्टीस भी कभी सूंघ लेती नोट है
दिखता दिल किसी के कपड़ो से तो ज़्यादातर
ये मिलते घूमते पहने काले कोर्ट
डोनेशन भी तो चलते कही यहा नाम पर
पर असली मक़सद जानो तो बस करने है सफेद काले नोट
छीनना पड़ता क्यूँ की
लोगो को आता बाटना नही
और हम भी ऐसे ब्रो हुमको आता चाटना नही
कपड़े सोना चाँदी सका धक सका कोई आत्मा नही
लालच रखे गाँधी का कोई बन सका महात्मा नही
सस्ते सोच पे मेहगा सूट करे सूट नही
फिर चाहे वो सफेद या फिर तेरे नोट काले
ड्रामा चलता न्यूज़ चॅनेल पे ज़्यादा न्यूज़ नही
कुछ आक्टर लोग से बेहतर आक्टिंग करते काफ़ी न्यूज़ वाले
तीस इस नोट अबौट थे लीके, तीस इस नोट अबौट थे व्यूस
रियल स्ट्रीट नालेज, तीस इस नोट अबौट थे न्यूज़
जज़्बात कहते काफ़ी अछा काम या फिर क्राइम
तू बस पढ़ता जो है लिखा, मान ई रेड बिट्वीन थे लाइन्स
परेशान सारे चाहते बस अब double tap
था बेहतर बचपन इससे विश तट वी could double बॅक
हाथ मिलते बाद मे पहले बनती स्टोरी इनकी
जितना थे हम ग्राउंड पे ये फोन पे ना double तट
करते रोज़ सबको इस्तेमाल
कमी दिखे तो पुर सहर मे बाँट'ते इस्तिहार
इंसान है पर इंसानियत का हो गया जो इंटेक़ल
तो बस चल रही साँस अब बस मौत का है इंतेज़ार
ऑल ई'म साइन, आए इंसान, वफ़ा रख
अपने तुझसे डोर ज़रा बाँध के तू समा रख
ज़बान देती चोथ, अगर बहो मे तू दावा रख
ये घर बड़ा, गाड़ी बड़ी, दिल मे तो जगह रख
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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