Jab Sham Ka Suraj

Hemant Kumar

जब शाम का सूरज ढलता है जब शाम का सूरज ढलता है छुप छुप के चाँद के साय में कोई मुझे पुकारा करता है जब शाम का सूरज ढलता है छुप छुप के चाँद के साय में कोई मुझे पुकारा करता है जब शाम का सूरज ढलता है जब होश में तारे आते है बेसूद रात हो जाती है जब होश में तारे आते है जब होश में तारे आते है बेसुद यात हो जाती है मेरे कानो में धीरे धीरे आवाज किसी की आती है जब शाम का सूरज ढलता है छुप छुप के चाँद के साय में कोई मुझे पुकारा करता है जब शाम का सूरज ढलता है कही आँख जरा सी लग जाये सपनो की रानी आती है कभी आँख जरा सी लग जाये सपनो की रानी आती है मैं उससे आँख चुराऊ वो उल्फत के साज़ बजाती है जब शाम का सूरज ढलता है छुप छुप के चाँद के साय में कोई मुझे पुकारा करता है जब शाम का सूरज ढलता है

Written by: HEMANT KUMAR, KANWAR KUMARLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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