Door Ka Raahi

हेमंत कुमार

चलती चली जाए ज़िंदगी की डगर कभी ख़त्म न हो ये सफर मंजिल की उसे कुछ भी न खबर फिर भी चला जाये दूर का राही दूर का राही चलती चली जाए ज़िंदगी की डगर कभी ख़त्म न हो ये सफर मंजिल की उसे कुछ भी न खबर फिर भी चला जाये दूर का राही दूर का राही आ आ आ आ मुड़ के न देखे कुछ भी न बोले भेद अपने दिल का राही न खोले आया कहाँ से(आ आ आ आ ) किस देश का है(आ आ आ आ ) कोई न जाने क्या ढूढता है मंज़िल की उसे कुछ भी न खबर फिर भी चला जाये दूर का राही दूर का राही दूर का राही आ आ आ आ आ आ झलके न कुछ भी आशा निराशा क्या कोई समझे नैनों की भाषा चेहरे की जैसे कोरा साफ़ है किस्मत ने जिस पर कुछ न लिखा है मंज़िल की उसे कुछ भी न खबर फिर भी चला जाये दूर का राही दूर का राही दूर का राही

Written by: KISHORE KUMAR, SHAILENDRALyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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