सब कुछ सुनना कुछ ना कहना
कितना मुश्किल है
सब कुछ सुनना कुछ ना कहना
कितना मुश्किल है
तुमसे बिछड़ के जिंदा रहना
कितना मुश्किल है
सब कुछ सुनना कुछ ना कहना
कितना मुश्किल है
तुमसे बिछड़ के जिंदा रहना
कितना मुश्किल है
सब कुछ सुनना कुछ ना कहना
कितना मुश्किल है
जिन राहों पर साथ चले थे
हर मौसम में साथी
जिन राहों पर साथ चले थे
हर मौसम में साथी
उन राहों पर तनहा चलना
कितना मुश्किल है
तुमसे बिछड़ के जिंदा रहना
कितना मुश्किल है
सब कुछ सुनना कुछ ना कहना
कितना मुश्किल है
कदमों की रफ़्तार से आगे
वक्त यहाँ चलता है
क़द॒मों की रफ़्तार से आगे
वक्त यहाँ चलता है
शहर में अब लोगों से मिलना
कितना मुश्किल है
तुमसे बिछड़ के जिंदा रहना
कितना मुश्किल है
सब कुछ सुनना कुछ ना कहना
कितना मुश्किल है
राशिद कितनी राहें बदलो
पांव बहक जाते हैं
राशिद कितनी राहें बदलो
पांव बहक जाते हैं
मैख़ाने से बचके निकलना
कितना मुश्किल है
तुमसे बिछड़ के जिंदा रहना
कितना मुश्किल है
सब कुछ सुनना कुछ ना कहना
कितना मुश्किल है
तुमसे बिछड़ के जिंदा रहना
कितना मुश्किल है
सब कुछ सुनना
हम्म म्म्म कितना मुश्किल है
Written by: HARIHARAN, MUMTAZ RASHIDLyrics © Royalty Network, Sentric MusicLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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