Goom Hai Kisi Ke Pyar Mein

कविता कृष्णमूर्ति, हरिहरन

हो गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम पर तुम्हें लिख नहीं पाऊं मैं उसका नाम हाए राम हाए राम सुबह शाम हो गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम पर तुम्हें लिख नहीं पाऊं मैं उसका नाम हाए राम हाए राम हो सोचा है एक दिन मैं उससे मिल के कह डालूँ अपने सब हाल दिल के और कर दूँ जीवन उसके हवाले फिर छोड़ दे चाहे अपना बना ले मैं तो उसका रे हुआ दीवाना अब तो जैसा भी मेरा हो अंजाम गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम पर तुम्हें लिख नहीं पाऊं मैं उसका नाम हाए राम हाए हाए हाए हाए राम चाहा है तुमने जिस बावरी को वो भी सजनवा चाहे तुम ही को नैना उठाए तो प्यार समझो पलकें झुका दे तो इक़रार समझो रखती है कब से छुपा छुपा के अपने होठों में पिया तेरा नाम गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम पर तुम्हें लिख नहीं पाऊं मैं उसका नाम हो गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम पर तुम्हें लिख नहीं पाऊं मैं उसका नाम हाए राम हाए राम सुबह शाम गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम

Written by: Bablu Chakraborty, Majrooh Sultanpuri, R D BurmanLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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