Son Machchri

Mark K Robin, Saiyami Kher, Gulzar

जो सोन मछरी का बदन ले कर डूबी रहती इस झील की तेह में तुम चाँद की तरह आते इस झील के पानी पर और रौशनी कर देते अँधेरे मेरे घर में तुम तैरते और कहते इस झील की तन्हाई में काश कोई होता जो प्यार तुम्हे करता में आती किनारे तक और दोस्ती कर लेती सोन मछली तुम्हारी तन्हाई को भर देती और तुमको सुकून मिलता तुम सोचते काश इस झील में सोन मछली रहा करती काश इस झील में सोन मछली रहा करती

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