Chand Ghatne Laga

Hemant Kumar, Geeta Dutt

चाँद घटने लगा रात ढालने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी चाँद घटने लगा रात ढालने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी मेरी निंदिया से बोझल ये अंखिया कहे पास बैठो ज़रा कुच्छ कहे कुच्छ सुने ठंडी ठंडी हवा अब तो चलाने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी चाँद घटने लगा रात ढालने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी रात जाती है झोली में तारे लिए रह ताकते है पर हम तुम्हारे लिए सोई सोई काली आँख मलने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी चाँद घटने लगा रात ढालने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी डीप तरो के बुझने से पहले सनम आज कहना है जो कुच्छ भी कहले सनम आग सुलगी हुई देख जलने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी चाँद घटने लगा रात ढालने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी चाँद घटने लगा रात ढालने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी चाँद घटने लगा रात ढालने लगी आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी

Written by: KUMAR HEMANT, Rajinder KrishnanLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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